Motivational Poem on Gudiya rape case :
मेरी रूह कांप सी जाती है😟
और हृदय में चिंगारी सी लग जाती है,
आंखे रोना चाहती है पर रो ना पाती है
दुष्कर्म की खबरों से जिंदगी तिलमिला सी जाती है।😵
गुस्सा तो बहुत आता है जनाब
पर हाथ उठा ना पाता हूं
काननू की मर्यादा से हट कर
कुछ भी ना कर पाता हूं।😢
ये बदनसीबी है मेरी यही मेरी कहानी है
आजादी को बरसो बीत गए लेकिन बेशर्म ये दुनिया सारी है।
सुबह सवेरे उठते ही कांप गई थी रूह सी मेरी😨
जब पन्नों पर लिखी गई थी दरिंदगी की कहानी सारी।
चौदह साल की थी वो बच्ची😖
नन्ही सी परी वो प्यारी थी,
रोंध दिए थे सपने सारे
क्यूंकि समय की घड़ी वो भारी थी।☠️
बचपन उसका समाप्त कर डाला
जीवन उसका छीन लिया,
तरस ना खाया उस पर किसने
नोच नोच कर मार दिया।😭
ऐसी कैसी हवस थी उनकी
जो नन्ही परी को ना छोड़ा,
प्यारा सा बचपन था उसका
कांच की भांति तोड़ दिया।😟
याद ना आयी उस वक्त वो मां
ना बहन की याद सताई थी,
उस बच्ची की बचपन सहित
जिंदगी ले ली सारी थी।😩
क्या इतना निर्दय हो गया था मर्द
जो उसकी पीड़ा वो समझ ना पाया,
बेटी जैसी थी वो उनकी
क्यों तड़फा तड़फा के उसे सताया।😠
क्या भूल गया था वो मर्यादा
या याद नहीं था कोई कायदा,
नन्ही जिंदगी वो बख्श ना पाया
क्या इसी लिए था जन्म ये पाया।😡
गुड़िया की हिम्मत तो देखो
जो कुतो से वो ना डरी,
जोर जोर से चिला कर
कर दी थी दीवार खड़ी🗣️
जिंदगी से वो ना हारी थी
हौसलों में उड़ान अभी जारी थी,
पीड़ा से तड़फ कर भी वो
मौत को हार चटा रही थी।👎
जिंदगी उसकी बख्श ना पाये
सिगरेट से शरीर जला डाला
नोच दिया था चेहरा सारा
हैवानियत का था दृश्य ये सारा।🤐
गला था उसका घोंट दिया
लेकिन आवाज ना उसकी घोंट वो पाया,
दुनिया साथ खड़ी थी उसके
पर कुछ भी ना हो पाया।😩
क्यों छूट गए थे वो दुष्कर्मी
क्या यही सजा सारी थी
क्यों तड़फा तड़फा के ना मारा
क्या ताकत उनकी भारी थी।💪
दुख तो इस बात का था गालिब
जीवन वो पूरा ना जी सकी,
मरते मरते भी दे गई हिम्मत
ज्वाला की चिंगारी थी।🔥
सलाम है गुड़िया को मेरा
रूह वो मेरी जगा गई,
लाखो औरतें लडेगी अब
क्यूंकि हिम्मत वो बड़ा गई।
जय हिन्द।
written by Brijesh sharma Vicky
BA 1st year shimla
मेरी रूह कांप सी जाती है😟
और हृदय में चिंगारी सी लग जाती है,
आंखे रोना चाहती है पर रो ना पाती है
दुष्कर्म की खबरों से जिंदगी तिलमिला सी जाती है।😵
गुस्सा तो बहुत आता है जनाब
पर हाथ उठा ना पाता हूं
काननू की मर्यादा से हट कर
कुछ भी ना कर पाता हूं।😢
ये बदनसीबी है मेरी यही मेरी कहानी है
आजादी को बरसो बीत गए लेकिन बेशर्म ये दुनिया सारी है।
सुबह सवेरे उठते ही कांप गई थी रूह सी मेरी😨
जब पन्नों पर लिखी गई थी दरिंदगी की कहानी सारी।
चौदह साल की थी वो बच्ची😖
नन्ही सी परी वो प्यारी थी,
रोंध दिए थे सपने सारे
क्यूंकि समय की घड़ी वो भारी थी।☠️
बचपन उसका समाप्त कर डाला
जीवन उसका छीन लिया,
तरस ना खाया उस पर किसने
नोच नोच कर मार दिया।😭
ऐसी कैसी हवस थी उनकी
जो नन्ही परी को ना छोड़ा,
प्यारा सा बचपन था उसका
कांच की भांति तोड़ दिया।😟
याद ना आयी उस वक्त वो मां
ना बहन की याद सताई थी,
उस बच्ची की बचपन सहित
जिंदगी ले ली सारी थी।😩
क्या इतना निर्दय हो गया था मर्द
जो उसकी पीड़ा वो समझ ना पाया,
बेटी जैसी थी वो उनकी
क्यों तड़फा तड़फा के उसे सताया।😠
क्या भूल गया था वो मर्यादा
या याद नहीं था कोई कायदा,
नन्ही जिंदगी वो बख्श ना पाया
क्या इसी लिए था जन्म ये पाया।😡
गुड़िया की हिम्मत तो देखो
जो कुतो से वो ना डरी,
जोर जोर से चिला कर
कर दी थी दीवार खड़ी🗣️
जिंदगी से वो ना हारी थी
हौसलों में उड़ान अभी जारी थी,
पीड़ा से तड़फ कर भी वो
मौत को हार चटा रही थी।👎
जिंदगी उसकी बख्श ना पाये
सिगरेट से शरीर जला डाला
नोच दिया था चेहरा सारा
हैवानियत का था दृश्य ये सारा।🤐
गला था उसका घोंट दिया
लेकिन आवाज ना उसकी घोंट वो पाया,
दुनिया साथ खड़ी थी उसके
पर कुछ भी ना हो पाया।😩
क्यों छूट गए थे वो दुष्कर्मी
क्या यही सजा सारी थी
क्यों तड़फा तड़फा के ना मारा
क्या ताकत उनकी भारी थी।💪
दुख तो इस बात का था गालिब
जीवन वो पूरा ना जी सकी,
मरते मरते भी दे गई हिम्मत
ज्वाला की चिंगारी थी।🔥
सलाम है गुड़िया को मेरा
रूह वो मेरी जगा गई,
लाखो औरतें लडेगी अब
क्यूंकि हिम्मत वो बड़ा गई।
जय हिन्द।
written by Brijesh sharma Vicky
BA 1st year shimla
Great...
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